क्या लिखूं कैसे लिखूं किस तरह लिखूं तुझे।
अब तू ही बता ए कविता मैं क्यूं कर लिखूं तुझे।।
लिखना भूल चुका हूं ज़हन में विचार भी आते नहीं।
कल्पना के पंख अब उन्मुक्त फड़फड़ाते नहीं।।
क्या तेरी भी इच्छा है कि बेवफा लिखूं तुझे।।
मैं कोई कवि नहीं हूँ , बस दिल में जो आता हैं उसे लिख देता हूँ ....
क्या लिखूं कैसे लिखूं किस तरह लिखूं तुझे।
अब तू ही बता ए कविता मैं क्यूं कर लिखूं तुझे।।
लिखना भूल चुका हूं ज़हन में विचार भी आते नहीं।
कल्पना के पंख अब उन्मुक्त फड़फड़ाते नहीं।।
क्या तेरी भी इच्छा है कि बेवफा लिखूं तुझे।।