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Friday, February 26, 2010

पार्ट 2

जिस में एक लड़की और दो लड़के थे । लड़की का नाम निवेदिता था। लड़के थे श्याम और अविनाश ।
पहला दिन कुछ खास नहीं था । शाम पांच बजे तक में होटल आ गया था । श्याम और अविनाश से रूम की बात की थी , वो रविवार को रूम की तलाश में मदद करने वाले थे।
अगले दिन ऑफिस गया तो निवेदिता ने एक address दिया और कहा की उसने मुझे राजेश से बात करते सुन लिया था । उसने अपनी तरफ से मेरे लिए room की बात क़र ली हैं । मुझे बस वो देखने जाना हैं। मैंने निवेदिता को धन्यवाद दिया और कहा की sunday को देखने जा रहा हूँ।
sunday को श्याम और अविनाश के साथ रूम की तलाश में गए । सबसे पहले निवेदिता के दिए adderss पर गए । one single room था जिसमे दो लोग आराम से रह सकते हैं। room ठीक था । अच्छा भी लगा। माकन मालिक का फ़ोन नंबर भी ले लिया।
फिर श्याम और अविनाश के साथ कई room देखे पर कोई भी पसंद नहीं आया। श्याम ने कहा के "निवेदिता वाला room ही सही हैं। अभी उसे फ़ोन लगा क़र कह के आज ही आने वाला हैं।"
अपना सामान के क़र हम तीनो वह पहुच गए।
माकन मकिल ने बताया था की room की keys उसने सामने वाले घर पर छोड़ रखी हैं।
"जा जाकर keys ले आ तब तक हम सामान ले आते हैं। " श्याम ने कहा
मैंने call bell दबा दी और इंतज़ार करने लगा। दरवाजा खुलने की आवाज हुई ।
ओ मेरे भगवान् । ये क्या । दरवाजा खोलने वाली वो ही लड़की थी। जिसे मैंने पहले दिन M.G . ROAD पर देखा था । उसे देखते ही मेरे तो होश नौ दो ग्यारह हो चुके थे।
उसने पूछा -"जी"
पर मैंने कुछ सुना ही नहीं। यूँ लगा के वक़्त रुक गया हैं और मैं पत्थर की मूर्ति में तब्दील हो गया हूँ।
उसने दुबारा पूछा -"जी कौन हैं आप और क्या चाहते हैं क्या काम हैं।
तब ही अंदर से आवाज आई , जेनेलिया कौन हैं।
पता नहीं मम्मी कौन हैं। कुछ बोल नहीं रहा ।
तब ही उसकी मम्मी मरियम आ गई ।
ओ तो इसका नाम जेनेलिया हैं। मेरे कानो में उसका नाम गुजने लगा ।
"हाँ क्या काम हैं" उसकी मम्मी ने पूछा।
keys सामने वाले room की , श्याम ने beg नीचे रखते हुवे कहा। "वो मिस्टर तुकाराम पाटिल ने कहा के keys आपके पास रखी हैं।
"अच्छा तो आप सब रहने आ रहे हैं। सामने वाले room में " मरियम ने कहा।
"जी हम सब नहीं , सिर्फ ये , मेरा दोस्त निहाल रहेगा।" अविनाश ने कहा।
"ठीक है , जा जेनेलिया keys ले आ।"
मेरी नजरें जेनेलिया पर ही थी। इसका पता जेनेलिया को चल गया ।
मेरी नजरें अपने ऊपर देखकर वो रुक गई।
"क्या ये बोल नहीं सकता।" मरियम ने श्याम से कहते हुवे मेरी तरफ इशारा किया।
"नहीं एसा क्यों" अविनाश ने कहा।
"नहीं जब से आया हैं तब से चुप खड़ा हैं"
श्याम ने अपनी कोहनी मारी और मुझे होश में लाया।
"मेरा नाम निहाल सिंह हैं और मैं सामने वाले room में रहने आया हूँ । मैं जयपुर से हूँ। " मैंने एक ही साँस में कह डाला । फिर मैंने लम्बी साँस ली।

Tuesday, February 23, 2010

नई ग़ज़ल

आज की रात चाँद सितारों को बुला रखा हैं।
दिल की ज़मीन पे आसमा सजा रखा हैं॥
आओगे न तुम इस महफ़िल में वादा करो ।
तुम्हारे इंतज़ार में दरवाजा खुला रखा हैं॥
मुझको देखकर लोग तेरा नाम लेते हैं।
किस के प्यार ने इसे दीवाना बना रखा हैं
किस रस्ते से जाऊ तो मुझको मिलो तुम ।
इसीलिए अपना हाथ पंडित को दिखा रखा हैं॥
कौन जीतेगा और कौन हारेगा देखना हैं।
दीये तूफान में हमने मुकाबला रखा हैं॥
कुछ न बचा सब कुछ लुटा दिया मैंने।
बची यादो को दाव पे लगा रखा हैं॥


जिन्दगी क्या हैं समझना समझाना क्या हैं।
अगर ये ही जीना है तो मरना क्या हैं ॥
अभी तो आये थे अभी चल भी दिए।
यूँ रोज रोज मिलना बिछड़ना क्या हैं॥
तुम दिल क्या बात आँखों से कहते हैं।
फिर आँख मिलकर चुराना क्या हैं॥
हमने तो अपना सब कुछ सौंप दिया हैं।
अब बार बार मेरे दर पे तेरा आना क्या हैं॥
मेरा आइना हैं तू तेरा आइना हूँ मैं ।
तो उस शीशे में तेरा सजना क्या हैं॥
मौत भी आएगी तो हसंकर मिलुगा में।
रूबरू उपरवाले के तेरा दीवाना क्या हैं॥