क़त्ल किया और खुद ही शोर मचा दिया
दोस्तों ने अपना असली रंग दिखा दिया
बेगैरत मतलबी धोखेबाज़ फरेबी बेवफा
देखो कैसे कैसे इल्जाम मुझ पर लगा दिया
बहुत सोचा मगर ग़ज़ल पूरी न कर सका
उफ़ मेरे ख्यालो ने मुझे अंगूठा दिखा दिया
वो खुदा था तो क्यों लगता था इंसान सा
उसकी हर अदा ने इबादत सीखा दिया
इश्क करना गर जुर्म हैं तो जवाब दो "कँवल"
क्यों राधा संग श्याम को मंदिर में सजा दिया
अरविन्द मिश्र "कँवल"