क्या हो गया सब को यहाँ ये कैसा कहर हैं
हर इक के हाथ में पत्थर हैं और मेरा सर हैं
वो जो खंडहर सी पुरानी हवेली हैं नुक्कड़ पर
कौन रहता था उस में अब कहाँ उनका बसर हैं
सुना हैं अब वो फिर से लौट आने वाला हैं
ऐ खुदा ये कितनी दिलखुश खबर हैं
उसने फिर मुद्दतों बाद याद किया तुझे "कँवल"
ये उसकी नवाजिश हैं ये खुदा की मेहर है
1 comment:
क्या बात है..बहुत खूब....बड़ी खूबसूरती से दिल के भावों को शब्दों में ढाला है.
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