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Saturday, July 30, 2011

महगाई में बच्चों को क्या खिलाया जाये

महगाई में बच्चों को क्या खिलाया जाये 
चलो इस बार खेतो में हल चलाया जाये 

सुना हैं अगर एक पढ़े तो सौ पढ़ते हैं 
क्यों न  इक गरीब बच्ची को पढाया जाये 

उतर गया दुल्हन के मुख से श्रृंगार   
धरती को हरा भरा फिर से बनाया जाये 

आज के हालात में फिर सख्त  जरुरत हैं 
बापू को, उस गाँधी को दिल से बुलाया जाये 

पेट भरता नहीं "कँवल" अब शायरी से इसीलिए 
इस कलम उस डायरी को कहीं छुपाया जाये 

Saturday, July 23, 2011

चेहरे पर जुल्फ


अपने  चेहरे  पर  जुल्फ  का  पर्दा  गिराए  हुवे
जैसे  चाँद  को  बादलो  से  छुपाये  हुवे ...

मेरे  ख्याल  अब  मेरा  साथ  नहीं  देते
बहुत  दिन  हुवे   कलम  उठाये   हुवे

मसरूफ  जिन्दगी  में  कौन  खबर  रखता  है
कितने  दिन  हुवे  पडोसी  ने  चूल्हा  जलाये  हुवे

फूल  सा  चेहरा  "कँवल "गुस्से  में  लाल  लाल
मना रहा  हूँ   हाथ  कानो  पे  लगये  हुवे