महगाई में बच्चों को क्या खिलाया जाये
चलो इस बार खेतो में हल चलाया जाये
सुना हैं अगर एक पढ़े तो सौ पढ़ते हैं
क्यों न इक गरीब बच्ची को पढाया जाये
उतर गया दुल्हन के मुख से श्रृंगार
धरती को हरा भरा फिर से बनाया जाये
आज के हालात में फिर सख्त जरुरत हैं
बापू को, उस गाँधी को दिल से बुलाया जाये
पेट भरता नहीं "कँवल" अब शायरी से इसीलिए
इस कलम उस डायरी को कहीं छुपाया जाये
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