Powered By Blogger

Monday, November 15, 2010

क़त्ल किया और खुद ही शोर मचा दिया

क़त्ल किया और खुद ही शोर मचा दिया 
दोस्तों ने अपना असली रंग दिखा दिया 
बेगैरत मतलबी धोखेबाज़ फरेबी बेवफा  
देखो कैसे कैसे इल्जाम मुझ पर लगा दिया 
बहुत सोचा मगर ग़ज़ल पूरी न कर सका 
उफ़  मेरे ख्यालो ने मुझे अंगूठा दिखा दिया 
वो खुदा था तो क्यों लगता था इंसान सा 
उसकी हर अदा ने इबादत सीखा दिया 
इश्क करना गर जुर्म हैं तो जवाब दो "कँवल" 
क्यों राधा संग श्याम को मंदिर में सजा दिया 
अरविन्द  मिश्र  "कँवल"

4 comments:

हरीश भट्ट said...

बहुत खूब अरविंद जी
ओर शुक्रिया भी
ग़ज़ल बहुत उम्दा बन पड़ी हैं
पुनः बधाई

हरीश

Alokita Gupta said...

wakai bahut achi rachna hai

Majaal said...

दूसरा शेर बहर से हल्का सा भटका हुआ लगा, बाकी आपका अंदाज़ खासा अच्छा है, सोच और शायरी वक़्त के साथ साथ खुद ब खुद गहरी होती जाएगी, जारी रखिये ...

Unknown said...

Arvind ji waiting for ur next...post