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Wednesday, June 6, 2012

यादो का कफ़न

वक़्त की अलमारी से यादों के कुछ फटे पुराने कपडे 
कुछ धुंधली सी.. कुछ मटमैली सी चादर 
जिससे उन बेकार कपड़ो की गठरी बना कर रख दिया था ..
ज़हन से दूर उस टूटी अलमारी में ...
हाँ...  उसे, उस गठरी को जिसे तुम अपने साथ नहीं लेकर गई 
छोड़ दिया था उसे मेरे लिए ... मेरे वजूद को मिटा  देने के लिए 
मगर मैं मिटा नहीं 
जिंदा जरुर हूँ एक लाश सा, 
इस इंतज़ार में की कभी तो उन यादो का कफ़न ओड़ कर सो जाउगा 
हमेशा के लिए 


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