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Friday, January 30, 2009

कहानी जो अभी लिख रहा हु मैं 1

झेलम एक्सप्रेस पुणे से ठीक ५.३० पर चल पड़ी । मैं और मेरा दोस्त बोबी अपनी सीट पर बैठ चुके थे । दिल बहुत बेचैन था इसीलिए कुछ बात करने को इच्छा नही थी । बोबी मुझसे कहने लगा - "निहाल डोंट वोर्री कल शाम तक हम आगरा में होगे । अब टेंशन क्यों ले रहा हैं। मैं तेरे साथ हमेशा रहूगा । उसका दिलासा कुछ हद तक सुकून देने वाला था पर कुछ देर के लिए । ठीक उसी वक्त मेरी आखें भीग चुकी थी । आखं से एक आसू अपने सफर पर चल निकला। मुझे अपने सफर की याद दिला गया ।
...दो साल पहले.....
आज की सुबह बड़ी सुहानी थी। सुबह १० बजे ही मैं तैयार हो कर होटल से निकल पड़ा इंटरव्यू के लिए। इंटरव्यू अच्छा गया। दो दिन के बाद दुसरे राउंड के लिए बुलाया था । खुश था के इंटरव्यू अच्छा गया इसीलिए मैंने शाम एक बार मैं बिताने की सोची । एम् . जी रोड पर एक बार मिला गया । अंदर गया तो पता चला की बार आज बंद हैं। सोचा हो गई शाम ख़राब । उल्टे पाव बार से वापिस आ गया । अचानक सड़क पर कोई मुझ से टकरा गया और मेरे हाथ से मेरा मोबाइल निचे गिर गया । मुझे बड़ा गुस्सा आया । गुस्से मैं मोबाइल उठाया और मुझे टकराने वाले की तरफ़ मुडा। जैसे ही उसे देखा मेरे होश खो चुके थे वो एक परी सी हशीन लड़की थी ।
सॉरी मुझे माफ़ कर देना । मैं जल्दी में थी इसी लिए आपको देखा नही और आप से टकरा गयी ।
इतना कह वो इतनी जल्दी वहां से कब गायब हो गई । मैं तो कुछ समझ नहीं पाया । होश आया जब मोबाइल की रिंग टोन सुनाई दी । फ़ोन घर से था ।
हाँ छोटे बोल क्या हाल हैं।
भइया आप ठीक है ना । पुणे ठीक से पहुच गए न, विशाल ने पूछा ।
हाँ छोटे में ठीक हूँ। आज इंटरव्यू भी था और अच्छा गया । दुबारा इंटरव्यू दो दिन बाद होगा। अच्छा मम्मी पापा केसे है।
अच्छे हैं, मम्मी तो अभी तक रो रही है। पर मैं हूँ ना उन्हें संभल लूँगा । बोल रही थी की आज तक निशु कभी मुझे से दूर नही गया । निशु भइया आप की याद आ रही है। जब से आप गए हैं तब से आप की कमी महसूस हो रही हैं । अपनी वो छोटे छोटे झगडे याद आ रहे हैं।
इतना कह विशु फ़ोन पर जी रोने लगा ।
अरे विशु मेरे भाई ... अरे तू ही रोयेगा तो मम्मी को कौन .....
नही भइया , मैं कब रो रहा हूँ । ये तो आप का प्यार हैं । जो मेरी आखं में रुक ही नही रहा।
अच्छा अब फ़ोन रखा और मम्मी पापा का ख्याल रखना । मैं रोज फ़ोन करता रहूँगा ।
होटल पहुच कर बिस्तर पर लेट गया । अभी भी वो लड़की मुझे याद आ रही थी और कान मैं वही शब्द बार बार सुनाई दे रहे थे ।
सॉरी ,मुझे माफ़ कर देना । मैं जल्दी में थी इसी लिए आप को देखा नहीं और आप से टकरा गयी । सोचते सोचते कब नींद आ गयी पता नही चला । .........................................
दो दिन बाद ...............
2nd round interview भी अच्छा गया और offer letter भी मिल गया । सात दिन में join करने को कहा। अगले कुछ दिन joining formalities पूरी करने में चले गए । office पुणे के मगर पत्ता इलाके में था ।
first day of job
पहले दिन introduction था। मेरा क्या जॉब रहेगा। मेरे साथ कौन कौन हैं । मेरे बॉस कौन हैं । मेरी टीम में चार लोग थे

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