मुझको तुम अब न फिर से यूँ सदा दो
जल क़र बुझ गया हूँ मुझे न हवा दो …….
ये जो दरख्त है गवाह हैं प्यार के अपने
लिखे हैं जो इन पर नाम अपने हाथो से मिटा दो ……….
क्यों संभाल के रखे हैं पुरानी यादो को
लिखे थे तेरे नाम ख़त उन सब को जला दो ………..
उसने कहा था कैसे जिओगे मुझ बिन अरविन्द
जिन्दा हूँ अभी कोई जरा उसको बता दो ………
1 comment:
bhot hi achaa likha hai......
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