हम सभी diary लिखते हैं । मैंने भी लिखा करता था। पर अब व्यस्त रहने की वजह से नहीं लिख पता। मेरी diary ; जो खो गई थी , कल अचानक मेरे हाथ लग गई।
बात उन दिनों की हैं जब गर्मियों की छुटिया चल रही थी । मैंने अपनी नानी के गाँव (पांडेयपुर) गया था। इस बार में अकेले ही नानी के गाँव गया था। तभी मुझे अल्लाहाबाद जाने का मौका मिला। सोनू जो मेरी नानी के घर के पास रहता था। उसके साथ अल्लाहाबाद घूमने का आँखों देखा हाल मैंने diary में लिखा। उसी diary के पन्ने पेश हैं ।
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मगलवार 13 september, २००५
पांडेपुर ,सुल्तानपुर
दो दिन पहले रविवार को सोनू अल्लाहाबाद से आया था। उससे मिलकर अल्लाहाबाद घूमने का विचार किया। वेसे तो अल्लाहाबाद जाने की permission मागने की हिम्मत तो नहीं हो रही थी। अम्मा (नानी) से तो बिलकुल भी नहीं। पर मैंने सोचा अगर मामाजी की approch लागाई जाये तो बात बन सकती हैं। लेकिन उनको मनाना भी टेडी खीर ही था। फिर भी मैंने सोमवार की रात में मामाजी से फ़ोन पार जाने की permission माग ली। सुच कह रहा हूँ। उस वक़्त दिल बेइंतिहा धड़क रहा था । आगले पल क्या होगा कुछ खबर न थी। पर ये क्या ........जो सोचा उसका उल्टा हुआ। मुझे जाने की इज्जात मिल गई सिर्फ दो दिन के लिए।
मगलवार की सुबह मैंने अपना सामान तयार किया दोपहर के वक़्त 2 बजे हम निकले। ट्रेन लगभग 3:30 बजे थी। ट्रेन टाइम पर थी। भीड़ ज्यादा नहीं थी हम को बैठने की सीट मिल गई थी।
सुलतानपुर से चली ट्रेन प्रयाग (अल्लाहाबाद) 8:30 बजे रात में पहुची। ट्रेन यात्री गाड़ी थी, जो हर स्टेशन पर रूकती हैं कई बार इसे रोक क़र दूसरी ट्रेनों को क्रोस करवाया जाता था। यही कारन था जो की हम इतना लेट वहा पहुचे।
सोनू का रूम रामप्रिया कालोनी में था । जो प्रयाग स्टेशन के बिलकुल पास में हैं। स्टेशन से सीधे रूम पर पहुचे। थके होने के कारन खाना खा कर जल्दी ही सो गए।
1 comment:
Arvindji aap aadha hi kyo likhate ho........ waiting for your diarys next page
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