मुझे ये सब करते देख जेनेलिया हंस पड़ी और अंदर चली गई। जब वो आई चाभियो के साथ तो भी वो मुस्कुरा ही रही थी। चाभियाँ मुझे देने लगी। मैंने हाथ आगे बढ़ा दिए चाभिया लेने के लिए। लेकिन मैंने चाभियाँ पकड़ नहीं पाया और चाभियाँ हाथ से छुट कर नीचे गिर गई। चाभियाँ उठाने के लिए नीचे झुका; ठीक उसी टाइम जेनेलिया भी झुकी और हमारे सर एक दुसरे से टकरा गए, एक साथ चाभियाँ पकड़ ली जिसकी वजह से हमारे हाथ भी छू गए। उसके हाथ की छुवन ने मेरे पुरे बदन में अजीब सी सिहरन दौड़ गई।
ये नजारा वह सभी लोगो ने देखा।
चाभियाँ लेकर मैं अपने रूम की तरफ हो गया और पीछे से मरियम ने दरवाजा बंद कर लिया।
"अरे निहाल, क्या हो गया था, अजीब अजीब हरकतें कर रहा था तू" श्याम ने कहा।
मैं कुछ न बोला और अपने रूम का दरवाजा खोला दिया और अंदर चला गया।
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अगले दिन मैंने ऑफिस के निकला तो देखा के जेनेलिया भी अपने रूम से निकल रही हैंअपने कुत्ते के साथ। हाँ उसके पास एक कुत्ता भी था जिसे वो सुबह शाम घुमाने ले जाया करती थी।
मेरी नज़रे उसकी नजरो से मिली। मैंने आँखों ही आँखों में कुछ कहना चाह रहा था। पर उसकी नज़रे सामान्य ही रही। जैसे वो खुद में ही खोई हुई हो।
उसका खुद में ही खोया रहना मुझे पसंद था। जी करता था की ऑफिस न जा कर उसे ही देखता रहू।
हमेशा सोचता रहता था की उससे बात कैसे करू। मैंने कभी दिल फेक आशिक किस्म का लड़का था पर न जाने मेरी आशिकी उसे देखते ही कहा घूम हो गई थी।
3 comments:
Agali kadee ka intezaar hai!
Agali kadi ka intezaar hai!
इस नए चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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