तेरे दामन पर गिरा क़र आंसू आज रोने दे ।
कई रातों से सोया नहीं आज जी भर सोने दे॥
रोके रास्ता खड़ी हैं मेरा मौत न जाने कब से,
दो पल ही हैं तेरी बाँहों में फ़न्हा होने दे ॥
क्या बात हैं क्यूँ आसू हैं तेरी आँखों में ।
बुला रहा हैं उस जहाँ में कोई ,मुझे जाने दे॥
अब गर जिन्दा रहा तो जीने नहीं देगीं दुनिया,
इस गमे दुनिया से दूर नई दुनिया बनाने दे॥
गम न करना सदा खुश रहना मेरे बगैर ,
मुस्कुराते क़र विदा ,मेरे यारो को जनाजा उठाने दे।
6 comments:
अरविन्द जी
आपकी रचना के भाव बहुत पसंद आये
मगर फिर देखा आपने इस पर गजल का लेबल लगाया हुआ है
दरअसल गजल लिखने के लिए रदीफ, काफिया, बहर आदि कुछ नियम होते है जिनका निर्वहन किये बिना कोई रचना गजल नहीं होती
आशा है आप कमेन्ट को अन्यथा नहीं लेंगे
Arvind ji bhot hi badhiya...........
अब गर जिन्दा रहा तो जीने नहीं देगीं दुनिया,
इस गमे दुनिया से दूर नई दुनिया बनाने दे॥
गम न करना सदा खुश रहना मेरे बगैर ,
मुस्कुराते क़र विदा ,मेरे यारो को जनाजा उठाने दे।
Uff! Kitna dard samete hue hai yah rachna!
Dua karti hun, aapke jeevan me sada bahar rahe!
theek likhte ho bhaiya....aur gaharaa karnaa hoga.....aur aur sahi bhi...
BAHUT KHOOB
Aaj aapki yah rachana phirse padhneka man kiya!
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