आज कुछ लिखने को मन हुआ पर
क्या लिखू सोचता ही रहा .......
एक बार ख्याल आया नेताओ पर लिखू
उनके काले चिठ्ठो पर हाथ साफ़ करू
पर बेचारी कलम ने लिखने से किया इनकार
करने लगी मुझसे मिन्नतें कई हज़ार
बोली एसो पर क्या लिखू जिनका धर्म ईमान नहीं
जिन्हें अपने देश अपनी जनता की परवाह नहीं
बात सच थी कलम की उसे तोलता ही रहा
क्या लिखू सोचता ही रहा ............
फिर ख्याल आया बचपन की बात लिखू
पुरानी बातो को याद कर हर जज्बात लिखू
जैसे ही उठाई कलम बोली मुझे , भूल गए
पिछले हफ्ते ही मुझसे लिखवाई हैं
पूरी रात स्याही की जगह मैंने अश्क ही बहाई हैं
फिर वही प्रशन उठ खड़ा हुआ
क्या लिखू सोचता ही रहा.......
लिखू ऐसी कविता जो हर किसी के मन की बात हो
जिसमे न कोई विवाद न ईर्ष्या न द्वेष की बात हो
जिसे पढ़कर हर मन कुछ कर गुजरने की सोचे
नई विकास की सोचे समृद्ध संसार की सोचे
जिसमे प्यार की चांदनी भरी हो
जिससे लिख कर मेरी कलम भी खुश बड़ी हो
पूरी रात पुरे दिन नए नए विषय खोजता ही रहा
क्या लिखू सोचता ही रहा ........
3 comments:
jo bhi likha
bahut khoob likha
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
बहुत खूब ......
इस बार सोच लिया अगली बार मत सोचियेगा .....
लिख ही दीजियेगा कोई प्यार की चांदनी से भरी नज़्म ......!!
aapka
yooooN sochnaa
achhaa lagaa
kaavya ...
to ho hi gaya na !!
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